स्वतन्त्रता आंदोलन के समय से ही महात्मा गाॅधी ने ग्राम स्वराज का सपना संजोया था। यह सपना इस दृढ भावना पर आधारित था कि दरिद्रनारायण की जब तक शासन में भागीदारी नहीं होगी तब तक जनतंत्र की जडे मजबूत नहीं हो सकती। शासन में लोगों की सहभागिता हेतु पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 2 अक्टूम्बर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में दीप प्रज्वलित कर त्रिस्तरीय पंचायतीराज की नींव रखी थी जो पुरे भारत के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी।
1960 में पंचायतों के चुनाव हुए और जन कल्याण हेतु पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से जन साधारण का जीवन स्तर उचा उठाने हेतु विभिन्न कार्यक्रम बने। इन कार्यक्रमों को ग्रामीण क्षेत्र में धरातल पर क्रियान्वयन करने में पंचायतीराज की त्रिस्तरीय व्यवस्था की महत्तवपूर्ण भूमिका रही।
समय के साथ निष्प्राण होती जा रही पंचायतीराज व्यवस्था में नवीन प्राण संचारित करने हेतु देश में 73वां संविधान संशोधन 24 अप्रेल 1993 को पारित हुआ। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में जन साधारण का जीवन स्तर ऊंचा उठाने हेतु योजना बनाने का अधिकार ग्राम सभा एवं उनके प्रतिनिधि पंचायतीराज संस्था का है एवं योजनाओं के क्रियान्वयन का दायित्व पंचायतों के सरपंच एवं ग्राम सेवक पदेन सचिन(ग्राम विकास अधिकारी) का है।
जनकल्याणकारी योजनाओं का शतप्रतिशत व गुणवत्तायुक्त निष्पादन कराने हेतु पंचायतों के मित्र, मार्गदर्शक, निरीक्षक और दार्शनिक भूमिका में पंचायत प्रसार अधिकारी(सहायक विकास अधिकारी) पद का पंचायतीराज व्यवस्था में सृजन किया गया, जो कि शत प्रतिशत ग्राम सेवक पदेन सचिव(ग्राम विकास अधिकारी) से पदोन्नत है। वर्ष 2013 से पूर्व राजस्थान में इन पदो पर कार्मिकों की संख्या बहुत की कम थी और कार्मिकों का संगठन भी नहीं था।
वर्ष 2013 में पहली बार राजस्थान के तत्कलीन पंचायतीराज मंत्री श्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया के सरकारी निवास पर माननीय मंत्रीजी की अनुमति से राज्य के पंचायत प्रसार अधिकारी साथियों की बैठक आहुत की गई, श्री ताराचंद गुर्जर प्रदेश अध्यक्ष व श्री मोहन चैधरी प्रदेश महामंत्री के नेतृत्व में पंचायत प्रसार अधिकारियों ने अपनी सेवा सुरक्षा एवं सेवा हितों में अभिवृद्धि करने हेतु राजस्थान पंचायत प्रसार अधिकारी संघ का गठन किया और माननीय पंचायतीराज मंत्री एवं राज्य सरकार के समक्ष अपना मांग पत्र प्रस्तुत किया।
वर्ष 2015 में राजस्थान पंचायत प्रसार अधिकारी संघ के लोकतान्त्रिक तरीके से चुनाव हुए और श्री सोहनलाल डारा प्रदेश अध्यक्ष एवं श्री मुरारीलाल पारीक प्रदेश महामन्त्री ने नेतृत्व संभाला। श्री डारा-पारीक की जोडी ने शासन के समक्ष कुटनीतिक तरीके से संगठन का मांग पत्र रखा और विभिन्न स्तरों पर मांग पत्र निर्णित करवा कर पंचायत प्रसार अधिकारी का पद नाम सहायक विकास अधिकारी एवं अतिरिक्त विकास अधिकारी(राजपत्रित) नवीन पद सृजित करवाकर ग्राम विकास अधिकारी व सहायक विकास अधिकारियों के सेवा हितों में अभिवृद्धि की।
श्री डारा-पारीक की जोडी ने कर्मचारी जगत में ग्राम विकास अधिकारी, सहायक एवं अतिरिक्त विकास अधिकारियों के संवर्ग के लिए शासन स्तर से ऐतिहासिक निर्णय विकास अधिकारी (आरडीएस-जूनियर स्केल) के 50 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति अतिरिक्त विकास अधिकारी पद से कराने का, करवाकर उस मिथक को तोड दिया कि ”ग्रामसेवक, ग्रामसेवक पद पर भर्ती होकर ग्रामसेवक पद से ही सेवानिवृत्त होता है“।
वर्तमान में इस सवंर्ग के लिए सहायक विकास अधिकारी के 2376 पद, अतिरिक्त विकास अधिकारी के 770 पद व विकास अधिकारी (आरडीएस-जूनियर स्केल) के 206 पद, इस तरह 3352 पदों का एक सशक्त संवर्ग है।
राजस्थान पंचायत प्रसार अधिकारी संघ का पद नाम परिवर्तन के साथ ही नवीन नाम “राजस्थान पंचायतीराज अतिरिक्त एवं सहायक विकास अधिकारी एसोसिएशन“ है जिसे लघु शब्द में “राजप्रवास (RAJPRAVAS)” नाम से जाना जाता है।
”राजप्रवास“, पंचायती राज के सहायक विकास अधिकारी, अतिरिक्त विकास अधिकारी एवं विकास अधिकारी(पदोन्नत) संवर्ग के समान हितों की अभिवृद्धि हेतु संघर्षरत संगठन है, जिसका सक्षम स्तर पर पंजीयन कराने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
वर्तमान में संगठन सहायक एवं अतिरिक्त विकास अधिकारियों के सशक्त जाॅबचार्ट, डीपीसी कराना, एमएसीपी में एल-14 प्रकरण, एक वैतन् वृद्धि प्रकरण एवं विकास अधिकारी के रिक्त पद पर अति.चार्ज पैनल मे संशोधन आदि सेवा सुरक्षा के मांग पत्र पर प्रयासरत है।
धन्यवाद।
मुकेश मोडपटेल (प्रदेश मंत्री)
“राजप्रवास“